• karimadvocate@gmail.com
  • +91 9839027055

Laws related to FIR

एफ0आई0आर0 के सम्बंध में महत्वपूर्ण कानून Laws related to FIR


एफ0आई0आर आज आम साधारण शब्द बन चुका है। अपराध विधि में अपराध की सूचना के सम्बंध में एफ0आई0आर0 का जिक्र किया गया है। एफ0आई0आर0 को प्रथम सूचना रिर्पोट कहा जाता है। एफ0आई0आर0 शब्द इतना बहुचर्चित बन चुका है कि एफ0आई0आर0 नाम से भारत मंे टीवी सीरियल किसी समय पर टेलीकास्ट किया जाता है। आज के इस लेख में हम एफ0आई0आर0 पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे । 


एफ0आई0आर0 क्या होती है? 


दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 154(1) में प्रथम सूचना रिपोर्ट   First Information Report    का उल्लेख किया गया है। हिन्दी में इसे प्राथमिकी भी कहा जाता हैं। 


धारा 154(1) दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार -  


‘‘संज्ञेय अपराध के किये जाने से सम्बंधित प्रथम इत्तिला यदि थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक दी गई है, तो उसके द्वारा या उसके निर्देशन में लेखबद्ध कर ली जायेगी और इत्तिला देने वाले को पढ कर सुनाई जायेगी। प्रत्येक ऐसी इत्तिला पर चाहे वह लिखित रूप में दी गई हो या मौखिक रूप में, लेखबद्ध कर उस व्यक्ति के द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे जो उसे दे रहा है। उसका सार ऐसी पुस्तक में जो उस भार साधक अधिकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जायेगी, जिसे राज्य सरकार इस निमित्त विहित करे, प्रविष्ट किया जायेगा।‘‘ 


उपरोक्त धारा से यह स्पष्ट होता है कि संज्ञेय अपराधों के सम्बंध में थाने में लिखित या मौखिक सूचना जो दी जाती है, उसे दर्ज किया जायेगा, अर्थात संज्ञेय अपराधों की सूचना को थाने में दर्ज होने को ही प्रथम सूचना रिपोर्ट यानी एफ0आई0आर0 कहते हैं।  


धारा 154(1) दंण्ड प्रक्रिया संहिता में संज्ञेय अपराध का जिक्र आया है, तो यहाॅं पर यह बताना भी आवश्यक हो जाता है कि अपराध कितने तरह के होते हैं। दण्ड प्रकिय्रा संहिता के अनुसार 2 तरह की प्रकृति के अपराध होते हैं- 


(क) - संज्ञेय अपराध Cognizable Offence,  Sec 2(c) CrPc.
(ख) - असंज्ञेय अपराध Non-Cognizable Offence,  Sec 2(l) CrPc.


दण्ड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूची में अपराधों का विस्तृत वर्गीकरण दिया गया है


धारा 154 दण्ड प्रक्रिया संहिता की उपधारा 2 में यह प्रावधान दिया गया है कि उपधारा 1 के अधीन अभिलिखित सूचना की प्रतिलिपि सूचना देने वाले को तत्काल निशुल्क दी जायेगी, अर्थात जो व्यक्ति किसी संज्ञेय अपराध की सूचना थाने में जाकर दर्ज कराता है, उसे उस सूचना(एफ0आई0आर0) की प्रति निशुल्क प्राप्त कराई जायेगी।  


दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 की उपधारा 3 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि थाने का भारसाधक अधिकारी यदि संज्ञेय अपराध की सूचना दर्ज करने से इंकार करता है तो ऐसी सूचना का विवरण लिखित रूप में डाक द्वारा सम्बंधित पुलिस अधीक्षक को भेजा जा सकता है। यदि पुलिस अधीक्षक को यह समाधान हो जाता है कि सूचना से किसी संज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट होता है, या तो वह स्वयं मामले की विवेचना करेगा, या अपने अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी द्वारा विवेचना किये जाने का निर्देश देगा और उस अधिकारी को उस अपराध के सम्बंध में पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी की सभी शक्तियाॅं होंगी।  


इस तरह से पीड़ित व्यक्ति संज्ञेय अपराधों की एफ0आई0आर0 थाने मंे दर्ज करा सकता है।  


एफ0आई0आर0 में लिखी जाने वाले आवश्यक तथ्य  


किसी भी संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना में घटना के सम्बंध में निम्नलिखित तथ्यों को अंकित किया जाना आवश्यक होता है- 
1. संज्ञेय अपराध कारित किये जाने की तारीख व समय  
2. संज्ञेय अपराध कारित किये जाने का स्थान  
3. संज्ञेय अपराध कारित किये जाने वाले व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के नाम (यदि पता हों तो) 
4. जिस व्यक्ति के साथ संज्ञेय अपराध कारित किया गया है, उस व्यक्ति का नाम व पता  
5. संज्ञेय अपराध से सम्बंधित घटित हुई घटना का विवरण  


एफ0आई0आर0 कौन दर्ज करा सकता है? 


जिस व्यक्ति के साथ कहीं पर कोई संज्ञेय अपराध कारित किया गया है, वह व्यक्ति उसके घर-परिवार का कोई सदस्य, रिश्तेदार, मित्र आदि घटना की एफ0आई0आर0 दर्ज करा सकते हैं। यहाॅं पर यह बताना आवश्यक है कि रास्ता चलते व्यक्तियों में से कोई भी व्यक्ति जिसने कि किसी संज्ञेय अपराध को कारित होते देखा है, या संज्ञेय अपराध की जानकारी प्राप्त हुई है, भले ही जिसके साथ घटना हुई है, उसे वह जानता हो या न हो, वह व्यक्ति उक्त घटना के सम्बंध में एफ0आई0आर0 दर्ज करा सकता है। सम्बंधित थाना क्षेत्र की पुलिस को यदि कहीं से यह इत्तिला मिल जाती है कि अमुक जगह पर अमुक संज्ञेय अपराध कारित किया गया है तो वह व्यक्ति भी उस अपराध की एफ0आई0आर0 दर्ज करा सकता है।  


एफ0आई0आर0 से सम्बंधित सुप्रीम कोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण केस लाॅ 


हरियाणा राज्य बनाम चैधरी भजनलाल, ए0आई0आर0 1993, सु0को0 604 


जिंदर अली शेख बनाम पश्चिम बंगाल, 2009, सु0को0,  


बाबा जी उर्फ बृजेश कुमार मोहन्ती बनाम उड़ीसा राज्य, उच्च न्यायालय  
 

Call Us: 9839027055