• karimadvocate@gmail.com
  • +91 9839027055

Laws of dowry death in India !

भारत में दहेज हत्या का कानून ! Laws of dowry death in India !


हम सभी जानते हैं कि दहेज एक सामाजिक बुराई है। आये दिन दहेज की मांग के कारण प्रताड़ना से तंग आकर विवाहित महिलाआंे की आत्महत्या एवं हत्या की खबरें अखबारों में आती रहती हैं। हालांकि समय समय पर दहेज प्रथा रूपी सामाजिक बुराई के खिलाफ देश में आंदोलन होते रहते हैं, फिर भी इस बुराई से अभी समाज को मुक्ति नहीं मिल पा रही है। दहेज की मांग करना व दहेज की मांग को लेकर महिलाओं के साथ क्रूरता करना कई तरह की अपराधों को जन्म देती है।  


दहेज सम्बंधी अपराधों में सबसे जघन्य अपराध दहेज मृत्यु होता है। विदित हो कि इस विकराल समस्या से निपटने के लिये भारत की संसद के द्वारा 1986 में भारतीय दण्ड संहिता में संशोधन करके धारा 304बी को जोड़ा गया था। आज के इस लेख मेें दहेज मृत्यु के अपराध तथा दहेज मृत्यु के अपराध से सम्बंधित महत्वपूर्ण धारा 304बी भा0दं0सं0 के अपराध के बारे में बात करने जा रहे हैं।  


दहेज मृत्यु (Dowry Death)

  
धारा 304बी भा0दं0सं0 में दहेज मृत्यु को निम्नलिखित तरीके से परिभाषित किया गया है। 


(1). ‘‘जहाॅं किसी स्त्री की मृत्यु किसी दाह या शारीरिक क्षति द्वारा कारित की   जाती है, या उसके विवाह के 7 वर्ष के भीतर सामान्य परिस्थितियों से अन्यथा उसकी मौत हो जाती है, और यह दर्शाया जाता है कि उसके मृत्यु के ठीक पूर्व उसके पति ने या उसके पति के किसी नातेदार ने दहेज की किसी मांग के लिये उसके सम्बंध में उसके साथ क्रूरता की थी, या तो उसे तंग किया था, वहाॅं ऐसी मृत्यु को दहेज मृत्यु कहा जायेगा, और ऐसा पति या नातेदार उसकी मृत्यु कारित करने वाला समझा जायेगा।  


स्पष्टीकरण - यहाॅं पर दहेज शब्द को भा0दं0सं0 के तहत परिभाषित नहीं किया गया है, बल्कि इस शब्द को दहेज प्रतिषेध अधि0 1961 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है। इस धारा की प्रयोजनों के लिये दहेज का अर्थ वही है, जो दहेज प्रतिषेध अधि0 1961(एक्ट सं0 28, 19961) की धारा 2 में वर्णन किया गया है।  


(2). जो कोई दहेज मृत्यु कारित करता है, वह कारावास से, जिसकी समय सीमा 7 वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास तक होगी, उसमें दण्डित किया जायेगा। 


दहेज मृत्यु के अपराध को गठित करने के लिये आवश्यक तत्व 


भा0दं0सं0 की धारा 304बी के अन्तर्गत दहेज मृत्यु के अपराध के गठन के लिये निम्नलिखित बातें आवश्यक हैं- 
1. मृत्यु का विवाह के 7 वर्ष के भीतर होना। 
2. मृत्यु का जलने से या किसी शारीरिक क्षति से अप्राकृतिक परिस्थितियों में होना। 
3. मृत्यु से ठीक पूर्व दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित किया जाना।  
4. यह सबकुछ दहेज की मांग को लेकर किया जाना। 


दहेज हत्या के किसी भी मामले में जब अभियोजन पक्ष के द्वारा उपरोक्त बातों को साबित कर लिया जाता है तो आरोपियों को दहेज मृत्यु के अपराध के लिये दोषसिद्ध मान लिया जाता है।  


दहेज मृत्यु के अपराध में धारा 304बी भा0दं0सं0 के तहत दण्ड का प्रावधान  भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304बी में दहेज मृत्यु के लिये न्यूनतम 7 वर्ष का कारावास और आजीवन कारावास तक का प्रावधान दिया गया है। साथ ही जुर्माने की व्यवस्था भी की गई है। दहेज मृत्यु का अपराध एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होता है। दहेज मृत्यु के अपराध का विचारण सत्र न्यायालय द्वारा किया जाता है।  


दहेज मृत्यु से सम्बंधित सर्वोच्च न्यायालय के कुछ महत्वपूर्ण केसलाॅज़ - 


1. श्रीमती शांती व अन्य बनाम स्टेट आफ हरियाणा, ए0आई0आर0 1991, एस0सी0 1226 
2. स्टेट आफ हिमांचल प्रदेश बनाम निक्कू राम, ए0आई0आर0 1955, एस0सी0 1967 
3. कश्मीर कौर बनाम स्टेट आफ पंजाब, ए0आई0आ0 2013, एस0सी0 1039 
4. एम0 श्रीनिवासुलू बनाम स्टेट आफ आंध्रप्रदेश, 2007 
5. पवन कुमार बनाम स्टेट आफ हरियाणा, ए0आई0आर0 1995, एस0सी0 774 
 

Call Us: 9839027055