हापुड़ में अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज करने के सम्बंध में लेटेस्ट अपडेट
पिछले दिनों हापुड़ में पुलिस द्वारा वकीलों पर लाठीचार्ज की कायवाही की गई थी। उसके बाद से लगातार उत्तर प्रदेश की विभिन्न जनपदों में वकीलों की हड़ताल चल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज की घटना की जाॅंच के लिये स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम(एसआईटी) का गठन किया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा लाठीचार्ज की घटना की जाॅच के लिये गठित की गई एसआईटी में कोई भी न्यायिक अधिकारी शामिल न किये जाने को लेकर अधिवक्ता संघों की नाराजगी सामने आई है। अधिवक्ताआंे ने इसे एकतरफा कार्यवाही बताया है। इसीबीच माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने हापुड़ लाठीचार्ज की घटना में स्वतः संज्ञान लेते हुए घटना की जाॅच कर रही एसआईटी में एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी को शामिल किये जाने का आदेश दिया है।
प्रदेश सरकार इस सेवानिवृत्त जज को एस0आई0टी0 में शामिल करेगी
माननीय उच्च न्यायालय के उक्त निर्देश के बाद उ0प्र0 सरकार श्री हरिनाथ पाण्डेय, सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट लखनऊ को एस0आई0टी0 में शामिल करेगी। उच्च न्यायालय के द्वारा संबंधित घटना की जाॅच कर रही एसआईटी टीम को यह भी निर्देश दिया है िकवह यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट शीलबन्द कवर में न्यायालय में जमा करे। इसकी एक अंतरिम रिपोर्ट अग्रिम तिथि तक न्यायालय के समक्ष प्रेषित किये जाने का निर्देश दिया गया है।
उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्वतः संज्ञान पर बहस
जैसा कि अवगत कराया गया कि उच्च न्यायालय ने इस सम्पूर्ण घटना पर स्वतः संज्ञान लेकर दिनाॅंक 04.09.2023 को मामले की सुनवाई की। बहस के दौरान एडीशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने न्यायालय में कहा कि इस घटना की जाॅच कर रही एसआईटी में यदि किसी न्यायिक अधिकारी को शामिल किया जाता है तो इसमें राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी।
‘‘इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने न्यायालय को सूचित किया कि मामले में एकतरफा एफ0आई0आर0 दर्ज की गई हैं, और वकीलों के अथक प्रयासों के बावजूद आज तक कोई एफ0आई0आर0 दर्ज नहीं की गई हैं।‘‘
इस घटना पर हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी
‘‘बार संघों/बार काउंसिलों के हड़ताल करने की इस न्यायालय व मानननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी लगातार आलोचना की गई है, क्योंकी वकीलों की ओर से इस तरह के कृत्य न केवल वादकारियों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि प्रशासन को प्रभावित करते हैं।‘‘
‘‘न्याय हमारे सांविधानिक लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है।‘‘
हाईकोर्ट बेंच ने आगे कहा,
‘‘हम आशा और विश्वास करते हैं कि बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश राज्यभर के सभी बार संघ साथी यह न्यायालय और इस न्यायालय की लखनऊ बेंच आत्मनिरीक्षण करेगी और निर्धारित कानून का सम्मान करते हुए कार्य करेगी।‘‘
अधिवक्ताओं के प्रतिनिधि निकाय को अपने सदस्यों की ओर से शिकायत उठाने का अधिकार है, लेकिन यह इस तरह से होना चाहिये कि न्याय का अंतिम उद्देश्य पराजित न हो। हम उम्मीद करते हैं कि वकील उनके प्रतिनिधि निकाय बड़े पैमाने पर अपने सामाजिक दायित्वों की ओर जागरूक होंगे और जिम्मेदारीपूर्ण कार्य करेंगे।
इस तरह से उच्च न्यायालय द्वारा अधिवक्ता संघों से अपील की कि काम शुरू करें, ताकि हाईकोर्ट की ओर से किसी भी अप्रिय कार्य को रोका जा सके।