भारत में अपराध कितने प्रकार के होते हैं?
भारत की अपराधिक न्याय प्रणाली भारतीय दण्ड संहिता 1860, दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973, भारतीय साक्ष्य अधि0 1872, में दिये गये प्रावधानों के अनुसार चलती है। दण्ड प्रक्रिया संहिता में मुख्य रूप से अपराधों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है-
1. संज्ञेय अपराध Cognizable offence
2. असंज्ञेय अपराध Non-Cognizable offence
संज्ञेय अपराध -
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(ग) में संज्ञेय अपराध को निम्नलिखित तरह से परिभाषित किया गया है-
‘‘संज्ञेय अपराध‘‘ से ऐसा अपराध अभिपे्रत है, जिसके लिये और ‘‘संज्ञेय मामला‘‘ से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें, पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अनुसार वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है।
Section. 2(c) –
“Cognizable Offence” means an offence for which, and “cognizable case” means a case in which, a police officer may, in accordance with the first schedule or under any other law for the time being in force, arrest without warrant.
उपरोक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि संज्ञेय अपराध कारित करने वाले व्यक्तियों को पुलिस बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकती है,
आसान शब्दों में परिभाषा को समझने के लिये हम कह सकते हैं, संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में आने वाले अपराध अत्यंत गंभीर प्रकृति के होते हैं, कौन सा अपराध संज्ञेय है, और कौन सा असंज्ञेय है, इस सम्बंध में दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंत में प्रथम अनुसूची में विस्तारपूर्वक श्रेणी दी गई है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 154(1) में संज्ञेय अपराधा की घटना होने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट FIR दर्ज किये जाने का प्रावधान दिया गया है।
असंज्ञेय अपराध Non-Cognizable offence -
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(ठ) में असंज्ञेय अपराधों को निम्नप्रकार से परिभाषित किया गया है।
‘‘असंज्ञेय अपराध‘‘ से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिये और ‘‘असंज्ञेय मामला‘‘ से ऐसा मामला अभिप्रेत है, जिसमें पुलिस अधिकारी को वारण्ट के बिना गिरफ्तारी करने का प्राधिकार नहीं होता है।
Section. 2(l) –
“Non-Cognizable Offence” means an offense for which, and “non-cognizable case” means a case in which, a police officer has no authority to arrest without a warrant.
उपरोक्त परिभाषा से यह स्पष्ट है कि असंज्ञेय अपराध कारित करने वाले व्यक्त्यिों को गिरफ्तारी वारंट के बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। असंज्ञेय अपराधों में सामाजिक हानि होने की संभावना कम होती है, इन अपराधों को संगीन अपराधों की श्रेणी मंे नहीं रखा जाता है।
यदि कहीं पर कोई असंज्ञेय अपराध की घटना घटित होती है तो धारा 155(1) दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत एन0सी0आर0 असंज्ञेय मामलों की सूचना थाने में दर्ज की जाती है। एन0सी0आर0 दर्ज होने के बाद कोई पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना असंज्ञेय मामलों का अन्वेषण नहीं कर सकता है। धारा 155(2) दं0प्र0सं0 में असंज्ञेय मामलों में मजिस्ट्रेट के आदेश से अन्वेषण किये जाने का प्रावधान दिया गया है।
दं0प्र0सं0 की धारा 155(3) में यह प्रावधान दिया गया है कि असंज्ञेय मामलों में मजिस्ट्रेट की न्यायालय के द्वारा अन्वेषण का आदेश मिलने के बाद पुलिस अधिकारी को अन्वेषण के बारे में वैसी ही शक्तियाॅं प्राप्त होंगी, जैसे कि संज्ञेय मामलों में थाने के भारसाधक अधिकारी को होती हैं।
दं0प्र0सं0 155(4) में महत्वपूर्ण प्रावधान यह दिया गया है कि किसी मामले में 2 या 2 से ज्यादा अपराध हैं, जिनमें कम से कम एक संज्ञेय अपराध है, वहाॅं पर इस बात के होते हुए कि अन्य अपराध असंज्ञेय हैं, यह मामला संज्ञेय मामला समझा जायेगा।
इस प्रकार से भारतवर्ष में होने वाले सम्पूर्ण अपराधिक मामलांे को संज्ञेय व असंज्ञेय मामलों के तौर पर परिभाषित किया गया है।