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Arrest Without Warrant Under CrPC

बिना वारण्ट के गिरफ़्तारी का प्राविधान?

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973

                  अध्याय 5

   व्यक्तियों की गिरफ्तारी ( Arrest of persons )

धारा 41. पुलिस वारण्ट के बिना कब गिरफ्तार कर सकेगी

(1) कोई पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारण्ट के बिना किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है-

(क) जो पुलिस अधिकारी को उपस्थिति में, संज्ञेय अपराध कारित करता है,

(ख) जिसके विरुद्ध युक्तियुक्त परिवाद किया गया है, या विश्वसनीय सूचना प्राप्त की गयी है, या युक्तियुक्त सन्देह विद्यमान है कि उसने ऐसी अवधि के कारावास से, जो सात वर्ष से न्यून हो सकेगा या जो सात वर्ष तक हो सकेगा, चाहे जुर्माना सहित हो या रहित, दण्डनीय संज्ञेय अपराध कारित किया है, यदि निम्न शर्तें पूरी की जाती है, अर्थात्--

1) पुलिस अधिकारी को ऐसे परिवाद, सूचना या सन्देह के आधार पर यह विश्वास करने

का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध कारित किया है,

(11) पुलिस अधिकारी को समाधान है कि ऐसी गिरप्तारी आवश्यक है-

(क) ऐसे व्यक्ति को किसी और अपराध को कारित करने से निवारित करने के लिये,

(ख) अपराध के उचित अन्वेषण के लिये, या

(ग) ऐसे व्यक्ति को अपराध के साक्ष्य का लोप करने या ऐसे साक्ष्य को किसी ढंग में

दूषित करने से निवारित करने के लिये, या

(घ) ऐसे व्यक्ति को मामले के तथ्यों से परिचित किसी व्यक्ति को कोई उत्प्रेरण, धमकी या वचन देने से, जिससे उसे ऐसे तथ्यों को न्यायालय या पुलिस अधिकारी के समक्ष प्रकट न करने के लिये मनाया जाये, निवारित करने के लिये, या (ङ) जब तक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तारी नहीं की जाती, तब तक न्यायालय में उसकी

उपस्थिति, जब कभी अपेक्षा की जाती है, सुनिश्चित नहीं की जा सकती, और पुलिस अधिकारी, ऐसी गिरफ्तारी करते समय, अपने कारणों को लेखबद्ध करेगा,

परन्तु पुलिस अधिकारी सभी मामलों में, जहां व्यक्ति को गिरफ्तारी इस उपधारा के

प्रावधानों के अधीन अपेक्षित नहीं है, गिरफ्तारी न करने के लिये कारणों को लेखबद्ध करेगा।] (क) जिसके विरुद्ध यह विश्वसनीय सूचना प्राप्त की गयी है कि उसने ऐसी अवधि के कारावास से, जो सात वर्ष से अधिक हो सकेगा, चाहे जुर्माना सहित हो या रहित या मृत्यु दण्ड से दण्डनीय संज्ञेय अपराध कारित किया है और पुलिस अधिकारी को उस सूचना के आधार पर विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध कारित किया है, ]

(ग) जो या तो इस संहिता के अधीन या राज्य सरकार के आदेश द्वारा अपराधी उद्घोषित किया जा चुका है, अथवा

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1. दण्ड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, 2008 ( 2009 का 5) की धारा 5 द्वारा निम्न खण्ड के लिए प्रतिस्थापित (1.11.2010 से प्रभावी)

( क ) जो किसी संज्ञेय अपराध से सम्बद्ध रह चुका है या जिसके विरुद्ध इस बारे में उचित परिवाद किया जा चुका है. विश्वसनीय इतिला प्राप्त हो चुकी है या उचित सन्देह विद्यमान है कि वह ऐसे सम्बद्ध रह चुका है, अथवा 

(ख)जो अपने कब्जे में विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना, जिस प्रतिहेतु को साबित करने का भार ऐसे व्यक्ति पर होगा, गृह-भेदन का कोई उपकरण रखता है, अथवा " 

2. दण्ड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम 2010 (2010 का 41) की धारा 2 द्वारा निम्नलिखित परन्तु अन्तःस्थापित किया गया। (2.11.2010 से प्रभावी)।

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(घ) जिसके कब्जे में कोई ऐसी चीज पायी जाती है जिसके चुराई हुई सम्पत्ति होने का उचित रूप से सन्देह किया जा सकता है और जिस पर ऐसी चीज के बारे में अपराध करने का उचित रूप से सन्देह किया जा सकता है,अथवा

(ङ) जो पुलिस अधिकारी को उस समय बाधा पहुँचाता है जब वह अपना कर्तव्य कर रहा है, या जो विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागा है या निकल भागने का प्रयत्न करता है, अथवा 

(च) जिस पर संघ के सशस्त्र बलों में से किसी से अभित्याजक होने का उचित सन्देह है, अथवा

(छ) जो भारत से बाहर किसी स्थान में किसी ऐसे कार्य किए जाने से, जो यदि भारत में किया गया होता तो अपराध के रूप में दण्डनीय होता, और जिसके लिए वह प्रत्यर्पण सम्बन्धी किसी विधि के अधीन या अन्यथा भारत में पकड़े जाने का या अभिरक्षा में निरुद्ध किए जाने का भागी है, सम्बद्ध रह चुका है या जिसके विरुद्ध इस बारे में उचित परिवाद किया जा चुका है या विश्वसनीय इत्तिला प्राप्त हो चुकी है या उचित सन्देह विद्यमान है कि वह ऐसे सम्बद्ध रह चुका है, अथवा 

(ज) जो छोड़ा गया सिद्धदोष होते हुए धारा 356 की उपधारा (5) के अधीन बनाए गए किसी नियम को भंग करता है, अथवा

(झ) जिसकी गिरफ्तारी के लिए किसी अन्य पुलिस अधिकारी से लिखित या मौखिक अध्यपेक्षा प्राप्त हो चुकी है, परन्तु यह तब जब कि अध्यपेक्षा में उस व्यक्ति का, जिसे गिरफ्तार किया जाना है, और उस अपराध का या अन्य कारण का, जिसके लिए गिरफ्तारी की जानी है, विनिर्देश है और उससे यह दर्शित होता है कि अध्यपेक्षा जारी करने वाले अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना वह व्यक्ति विधिपूर्वक गिरफ्तार किया जा सकता था।

[1 (2) धारा 42 के प्रावधानों के अध्यधीन कोई व्यक्ति, जो असंज्ञेय अपराध से सम्बन्धित है या जिसके विरुद्ध उसके इस प्रकार सम्बद्ध होने के लिये परिवाद किया गया है या विश्वसनीय सूचना प्राप्त की गयी है। या युक्तियुक्त संदेह विद्यमान है, मजिस्ट्रेट के वारण्ट या आदेश के अधीन गिरफ्तार किया जायेगा, अन्यथा नहीं ।

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